एसिडिटी एक ऐसी समस्या है जो पैदा तो पेट में होती है, लेकिन उसका असर शरीर के अन्य भागों में भी देखने में आता है|
आइये एसिडिटी को ज़रा और नज़दीक से जानें और देखें कि किस तरह आपके दांतों और मसूढ़ों के स्वस्थ्य से इसका सीधा सम्बन्ध है?
एसिडिटी क्या है?
हमारा पेट भोजन के डायजेशन के लिए नैचुरल एसिड का निर्माण करता है| इस के द्वारा भोजन को पचाए जा सकने वाले पदार्थों में तोड़ने या ब्रेक डाउन करने में मदद मिलती है| लेकिन जब यह एसिड उलटा ऊपर की ओर यात्रा करता है, और एसोफैगस के रस्ते मुंह तक पहुँचता है, तो इसके बहुत सारे साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं|
इससे होने वाली सबसे आम समस्या है सीने या पेट में जलन का एहसास. यह बेहद परेशान करने वाला अनुभव होता है| सीने में जलन के साथ ही मुंह में खट्टेपन का एहसास, और गले में जलन के साथ डकार आना जैसी समस्याएँ भी देखी जा सकती हैं|
लेकिन, एसिडिटी एक और छुपा वार भी करती है जिसका आम तौर पर हमें पता तक नहीं चलता| यह है, आपके दांतों को नुकसान!
एसिडिटी दांतों को किस तरह नुकसान पहुंचाती है?
हम जानते हैं कि दांतों के डॉक्टर हमेशा मीठी, चिपचिपी, और खट्टी चीजों के सेवन से बचने की सलाह देते हैं| इसका कारण यही है|
दरअसल, जब हम मीठी या चिपचिपी चीज़ें खाते हैं, तो हमारे मुंह में बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं| ये बैक्टीरिया शकर को ब्रेक डाउन कर एसिड में बदलते हैं, जिससे हमारे दांतों की ऊपरी परत को नुकसान पहुँचता है| यह कठोर परत इनेमल कहलाती है और इसका काम दांतों को क्षय से बचाना है| लेकिन बढे हुए एसिड के कारण इस परत की हानि होती है|
यही काम एसिडिटी के द्वारा भी होता है| पेट से ऊपर की तरफ आया हुआ एसिड दांतों के इनेमल को गला देता है| इसके कारण दांत सडन, कैविटी और सेंसिटिविटी का शिकार हो जाते हैं| इनेमल के घिसने के कारण दांत बदरंग और दागदार भी हो जाते हैं|
अक्सर एसिडिटी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाइयों के कारण “ड्राई माउथ” या मुंह का सूखना जैसी समस्या हो जाती है| इन दवाइयों के कारण मुंह में बनने वाली सलाइवा की मात्रा कम हो जाती है|
चूंकि सलाइवा का काम मुंह में बढे हुए एसिड को न्यूट्रलाइज करने के साथ ही भोजन के कणों को मुंह से हटाना भी होता है, कम सलाइवा बनने से यह संभव नहीं हो पाता| बल्कि मुंह में एसिड की मात्रा और बढ़ जाती है, जिससे कैविटी का ख़तरा बहुत ज्यादा हो जाता है|
एसिड के कारण दांतों को होने वाली क्षति के लक्षण इस प्रकार हैं:
- ठन्डे, गर्म या मीठे पदार्थों को खाने के बाद दांतों में दर्द या सेंसिटिविटी होना
- दांतों में पीलापन नजर आना
- दांतों के रंग में परिवर्तन होना
- दांतों में अगर कोई फिलिंग हो, तो उसमे बदलाव नज़र आना
- दांतों में कैविटी नज़र आना
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि दांतों के इनेमल को होने वाली क्षति को भरना नामुमकिन है| इसलिए, खानपान में सावधानी बरतना,मीठी और खट्टी चीज़ों से परहेज रखना, और एसिडिटी को नियंत्रित रखना ही इसका इलाज है|
जब एसिडिटी के कारण इनेमल का घिसाव या क्षरण होता है, तब आपको फिलिंग की, या रूट कैनाल की ज़रुरत पड़ सकती है| गंभीर क्षति के मामलों में दांतों को निकालना भी पड़ सकता है| दांतों के बदरंग होने की स्थिति में वैनीर एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं| ये आपके दांतों के स्वरुप को अच्छा कर आपके मुस्कराहट वापस ला सकते हैं|
अल्कोहल और धूम्रपान को कम से कम रखना, अच्छी नींद लेना, नियमित व्यायाम करना और तनाव से मुक्त रहना एसिडिटी को नियंत्रित रखने में सहायक होता है|
एसिडिटी को नियमित खानपान, और दवाइयों के सेवन से नियंत्रण में रखना आपके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ दांतों की सुरक्षा के लिए भी अहम् है|
आपके डेंटिस्ट और गेस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं|