बुज़ुर्ग होने से बचने के लिए अपनाएं कृत्रिम दांत

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हमारे दांत चेहरे की मुस्कान को खूबसूरत बना देते है। क्या कभी सोचा है कि हमारे दांत ही न रहे या टूट जाए तो क्या हो? ऐसा सोचने पर ही मन अजीब सा हो जाता है या अजीब से ख्याल आने लगते है। जिन लोगों के दांत टूट गए है, ये उन लोगों के लिए एक परेशानी का विषय है। अक्सर हमने बुज़ुर्गो को ‘नकली दांत’ लगाते देखा है, जिसे ‘कृत्रिम दांत’ कहा जाता है।

नकली या कृत्रिम दांत (Dentures) मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है:

    1. १. निकलने वाले दांत: (Removable Dentures)

निकलने वाले दांत ‘निकालने वाले दांत’ ऐक्रेलिक के द्वारा बनाए जाते हैं। जिन्हें साफ़ करने के लिए मुंह से नियमित तौर पर बाहर निकालना होता है। साथ ही, सफ़ाई का खास ध्यान रखना भी आवश्यक है। ऐसे दांत बनाने के लिए मरीज़ के मुंह का माप लेकर प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है। इसके बाद मरीज़ को २ से ३ बार डेंटिस्ट के पास विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जाना पड़ता है। दांत पूरी तरह से तैयार होने पर मरीज़ को लगा दिए जाते हैं। दांत बन जाने के बाद भी आपको २ या ३ बार डेंटिस्ट के पास जाकर दांत को ठीक करवाना पड़ सकता है।

    1. २. स्थिर दांत:

अधिकतर मरीज़ फिक्स्ड या स्थिर दांत ही लगवाना पसंद करते हैं क्योंकि यह ज्यादा सुविधाजनक होते हैं। यह निकलने वाले दांत से भिन्न होते है। इन दांतों से द्वारा मरीज़ को खाना चबाने, बोलने और हँसने जैसी क्रियाओं में बिलकुल भी कठिनाई नहीं आती। यह दांत दिखने में बिलकुल प्राकतिक दांत जैसे ही प्रतीत होते हैं। साथ ही, यह आकर्षक और सुन्दर भी होते हैं।

स्थिर दांत किस प्रकार लगाए जाते हैं?

स्थिर दांत ‘क्राउन और ब्रिज‘ के माध्यम से लगाए जाते हैं। यह तब लगाए जाते हैं, जब मरीज़ के मुंह में अपने कुछ प्राकृतिक दांत बचे हो क्योंकि उन दांतों के उपयोग से ही नए दांत बनाए जाते हैं। इसके माध्यम से अक्सर आसपास के दूसरे दांतों के आकार को थोडा सा छोटा किया जाता है, ताकि उसके ऊपर नए दांत या कैप की जगह बनाई जा सकें। सरल भाषा में क्राउन (Crown) को कैप भी कहा जाता है। इस इलाज़ के दौरान यह ध्यान रखना आवश्यक होता हैं कि आपके बाकी के दांत स्वस्थ हों और उनमें कोई कीड़ा न लगा हो। जिससे इलाज़ में कोई रुकावट न आए।

दांत लगवाने के बाद अपने मुंह की विशेष रूप से देखभाल करना क्या जरूरी है?

कृत्रिम दांतों को लगवाने के बाद अपने मुंह की अच्छी तरह से देखभाल करना और भी ज्यादा जरुरी है। अपने दांतों के लिए सबसे मुलायम ब्रश का ही चयन करें। रोजाना सुबह और शाम अपने दांतों, मसूड़ों, जीभ और अपने मुंह की तालू पर ब्रश करें। इससे दांतों की मैल तो साफ़ होती ही है। साथ ही, मुंह में रक्त प्रवाह ठीक प्रकार से होता है। अपनी जीभ को साफ़ करने के लिए ‘टंग क्लीनर’ का प्रयोग करना चाहिए। इसकी मदद से जीभ आसानी से साफ़ हो जाती है। पूरे मुंह की सफ़ाई के लिए कोसे पानी से गगारे किए जाए तो मुंह के साथ-साथ गला भी स्वच्छ हो जाता हैं। अगर अपने दांतों पर दाग-धब्बों या पपड़ी के जमाव को देखते हैं तो अपने नकली दांत को दंत टीम से साफ़ कराएं।

कैप/ क्राउन/ ब्रिज (Cap, Crown, Bridge) कितने प्रकार के होते हैं और कैसे इस्तेमाल होते है?

ब्रिज केवल धातु या मेटल के, धातु और पोर्सिलेन के, सिर्फ पोर्सिलेन के।

अधिकतर आगे के दांतों में पोर्सिलेन और जड़ों में पोर्सिलेन के साथ धातु का उपयोग किया जाता हैं। पोर्सिलेन के दांत ज्यादा प्राकतिक और आकर्षक दिखते हैं। सबसे पहले डेंटिस्ट मरीज़ के मुंह और दांत का निरीक्षण करते हैं। फिर उसके बाद यदि किसी दांत में सड़न होती हैं, तो उसका इलाज़ किया जाता है। कुछ एक्स-रे करने के बाद मुंह का माप लिया जाता है। जिन दांतों की सहायता से नए दांत बनाए जाते हैं, उन्हें थोडा छोटा आकर देकर पुनः माप लिया जाता है। फिर तुरंत ही डेंटल प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है। तकनीशियन मरीज़ के माप के अनुसार दांत को बनाते हैं। २ से ३ दिन बाद दांत बनकर तैयार हो जाते हैं और मरीज़ के मुंह में लगा दिए जाते हैं।

डेंटल इम्प्लांट (Dental Implant) से क्या फायदा मिलता है?

डेंटल इम्प्लांट के माध्यम से उन मरीज़ों को बहुत फायदा होता है, जिनके अपने खुद के दांत सपोर्ट के लिए उपयोगी नहीं होते। दरअसल कई ऐसे मरीज़ भी होते है, जिनके मुंह में जड़ें नहीं होती और सिर्फ आगे के दांत होते हैं। ऐसे में इम्प्लांट को लगाने के लिए मुंह को सुन्न किया जाता है और एक छोटे से छेद के द्वारा जबड़ें की हड्डी में डाल दिया जाता है। इस प्रकार हड्डी में जड़ डाल दी जाती है। फिर उसके ऊपर का भाग और दांत तीन महीने बाद माप लेकर बनाया जाता है। कुछ मरीज़ों के ट्रीटमेंट के अनुसार, उनके आगे का दांत लगाने की प्रक्रिया में ऊपर का भाग और दांत उसी दिन भी डाला जा सकता है। मगर सभी केस एक जैसे नहीं होते इसलिए ऐसे ट्रीटमेंट में डेंटिस्ट को मरीज़ के केस के अनुसार ही चलना होता है। साथ ही, मरीज़ को भी अवधि पूर्ण का इंतज़ार करना होता है।

नकली या कृत्रिम दांत के क्या फायदे है?

नकली दांत आपके पुराने दांतों की ताकत को बनाए रखता है। इसके होने से आपकी पुरानी सभी दिक्कतें दूर हो जाएगी। अगर आपके दांत टूट गए है या दांतों के बीच खालीपन आ गया है तो नकली या कृत्रिम दांत आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। इसके लगने के बाद यह प्राकतिक दांत के सामान ही दिखाई देगा। जिससे आपकी मुस्कान और भी ज्यादा आकर्षक और सुन्दर हो जाएगी। नकली दांत लगवाने के बाद, आपको भोजन चबाने में बहुत सुविधा होगी। इन दांतों का एक फायदा यह भी है कि आपके दांत की मांसपेशिया मज़बूत हो जाएगी। साथ ही, चेहरे की मांसपेशियों में निखार आ जाएगा। इम्प्लांट पर लगाए जाने वाले दांत जबड़ों से मज़बूत हो जाते है और जबड़ों की हड्डियों को होने वाले नुक्सान से भी बचाते है।

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